Book Description | à¤à¤• लेखक के रूप में रमेशचंदà¥à¤° शाह की पहचान à¤à¤²à¥‡ ही आलोचक और निबंधकार की है, किनà¥à¤¤à¥ किसी कथाआंदोलन से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ बिना à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हिनà¥à¤¦à¥€ कहानी की विकास यातà¥à¤°à¤¾ में सारà¥à¤¥à¤• और उलà¥à¤²à¥‡à¤–नीय हसà¥à¤¤à¤•à¥à¤·à¥‡à¤ª किया है। उनके पांच पà¥à¤°à¤•ाशित कहानीसंगà¥à¤°à¤¹ इसकी पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ करते हैं। पारमà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤• किसà¥à¤¸à¤¾à¤—ोई से शà¥à¤°à¥‚ कर, चरितà¥à¤° पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨, à¤à¤•ालाप आदि अनेक रंगतों से समृदà¥à¤§ अपनी पचास से ऊपर कहानियों में से चà¥à¤¨ कर 11 कहानियों का यह कसा और गठा । हà¥à¤† संकलन शाह जी ने 'मेरी पà¥à¤°à¤¿à¤¯ कहानियाà¤' पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•माला के लिठविशेष रूप से तैयार किया है। अपनी लेखनपà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ और कहानी संबंधी अपनी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं को रेखांकित करते हà¥à¤, संकलन के शà¥à¤°à¥‚ में, लेखक ने विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ à¤à¥‚मिका à¤à¥€ दी है। |